【 RNI-HIN/2013/51580 】
【 RNI-MPHIN/2009/31101 】
15 Jan 2021
फ़िर फूटा क्राइम ब्रांच के पाप का घड़ा, रिश्वतखोर क्रिमिनल ख़ाकीदारी DSP से अगर कि जाए सख़्ती से पूछताछ तो खुल सकते हैं अपराध शाखा के अन्य भ्रष्ट वर्दीधारियों के राज !!
Anam Ibrahim
राष्ट्रवादी रिपोर्टर
भोपालः दिन दुगनी रात चौगनी बिगड़ती भोपाल पुलिस की भ्रष्टाचारी छवि को इन दिनों गूगल सर्च इंजन भी उगलने से बाज़ नही आ रहा है। शहर के कई थानों में ऐसे दाग़दार वर्दीधारी बहुत ज़्यादा है जिनकी दर्ज़नो गम्भीर शिकायतें एक अफ़सर के बस्ते में बंद है। हैरत की बात है कि इतनी गम्भीर आपराधिक शिकायतों पर क़सूरवार मैदानी अंगत का पैर बने ख़ाकीधारियों को सजा देने की जगह बढ़ावा दे यथावत उस ही स्थान पर रखा जाता रहा है। शायद यही वजह है कि हरामख़ोरी की ख़ुराक के आदि ऐसे रिश्वत के राक्षसगण पुलिस प्राणियों के होसलो को हवा मिल रही है और अवैध उगाई के कारोबार को छूट, बहरहाल वर्दी बदनाम चाहे किसी एक कि भी हो लेकिन समाज उंगलिया ख़ाकी की पूरी जमात पर उठाता है। लिहाज़ा ऐसे ही एक वर्दी की आड़ में वसूली व रंगीन मिज़ाजी के लंबे वक्त से मजे ले रही क्राइम ब्रांच की गंदी मछली की बदबूदार रिश्वतख़ोरी की आवाज़ बतौर साक्ष रिकॉर्ड होकर वायरल हो गई जो फिर से कार्यवाही के गल में फस गई परन्तु नुकीले गल अबतक गंदी मछली के जबड़ों से निकालकर बार बार वापस मैदानी तलाब में तैरने के लिए छोड़ने वाले को क्या लाभ? सवाल बड़ा है पिछले दो वर्षो में खाली क्राइम ब्रांच में ही दर्ज़नो बार बल्तकारी, लुटेरों, चोरों, देह व्यापारियों से लेनदेन के व झूठे मामले में फ़साने का ज़ोर देकर रिश्वतख़ोरी की उगाई के साक्षनुमा ख़ुलासे हुए जिससे पूरी वर्दी शर्मशार हुई लेकिन कार्यवाही की जगह उनको किसकी शह पर बख्श यथावत उसी स्थान पर रखा जा रहा है। यह मै नही कहता बल्कि क्राइम ब्रांच का दो वर्ष का रिकॉर्ड कह रहा है, पूर्व में सीएसपी सलीम के लेनदेन व अन्य संगीन मामलों के मीडिया में ख़ुलासे हुए परन्तु कार्यवाही की जगह कुछ दिन के लिए सीएसपी को अंदरूनी वही रखा गया फिर दोबारा से उसी स्थान पर मुसल्लत कर दिया गया। क्राइम ब्रांच में लेनदेन रिश्वतख़ोरी के ख़ुलासे पर ख़ुलासे होते गए लेकिन कार्यवाही दिखावेदार भी नही हुई या यूं कहले की ऊंट के मुहं में जीरा समान भी नही हुई फिर क्राइम ब्रांच के दागी एक सिपाही के 6 हज़ार की रिश्वत लेने का मामला बचाउकर्ता अफ़सर के पालने से बाहर हो गया। बता दें कि पूर्व में क्राइम ब्रांच में पदस्थ महेंद्र सिंह नामक ने कई सालों की पुलिस सर्विस भोपाल के खास चुनिदा थानों में ही गुज़ार दी, पूर्व में भी दर्जनों अड़ीबाजी, लड़कीबाज़ी, रिश्वतख़ोरी, ज़बरन वसूली व जुल्म ज़्यादती की लिखित शिकायते इस ख़ाकीधारी खलनायक की हो चुकी थी परन्तु पउए के ज़ोर तले दबकर कोई भी शिकायत कार्यवाही के अमल में नही पहुंच पाती थी। शायद इसी का खामियाज़ा भुगता था उस वक़्त क्राइम ब्रांच ने जो अपराधियों की गिरेबान पकड़कर थाने घसीट के लाता था उसी की गिरेबान पकड़ घसीट के लोकायुक्त ले गई थी। लोकायुक्त की एक ख़ास टीम ने अपराध शाखा में पदस्थ प्रधान आरक्षक महेंद्र सिंह को 6 हज़ार की रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोचा गया था। कसूरवार कौन तो लाज़मी है जिम्मेदारी तो मैदानी पुलिसिया मैदान कप्तान की है जिसे आप एसएसपी कह सकते है जो भोपाल: डीआईजी इरशाद वली है जिनकी कप्तानी की पनाह में पनप रही क्राइम ब्रांच में रिश्वतखोरों की टीम के सिलसिलेवार ख़ुलासे होने के बाद भी आख़िर क्यों नही होती कार्यवाही? लाज़मी है कद्दू काटने के लिए छुरी हाथमे थमाने वाले को भी हिस्सा नसीब होता होगा, हाल ही में डीएसपी क्राइम ब्रांच के पद पर पदस्थ दिनेश सिंह चौहान का कथित ऑडियो वायरल होने के बाद एक दफ़ा फिर भोपाल क्राइम ब्रांच इल्ज़ामों के कठघरे में आ खड़ा हुआ है हलाकि मामले को गम्भीरता से लेते हुए एएसपी क्राइम ब्रांच गोपाल धाकड़ ने कार्यवाही के लिए आला अफसर को सूचित कर मांग करते हुए अपना कर्तव्य पूरा किया परन्तु अब देखना यह है कि क्या बंसी ऊपर कर डोर को खींच गल निकालने वाला अफ़सर कार्यवाही करता है या रिश्वतखोर मछली के जबड़े से गल निकालकर वापस मैदानी तलाब में छोड़ता है?
बहरहाल जो भी हो ऐसे में वक़्त रहते हुए मुख्यालय के आला अफसरों को मैदानी पुलिस के विरुद्ध होने वाली शिक़ायतों पर गम्भीरता दिखाना चाहिए वरना इसी तरह हर रोज़ पुलिस की आस्तीन के सांप ख़ाकीधारी खलनायक बन भोपाल पुलिस की इज्ज़त का जनाज़ा उठाते रहेंगे।
जल्द पढ़े (प्रदेश की हक़ीकत) में भोपाल क्राइम ब्रांच की शहर में पल रही अवैध लुगाई अवैध उगाई और पैसा उगाई की सनसनीखेज़ कारगुज़ारी!
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