【 RNI-HIN/2013/51580 】
【 RNI-MPHIN/2009/31101 】
29 May 2021
Anam Ibrahim
7771851163
मध्यप्रदेश सतना: सूबे में सियासी शब्दों के शोलो से फिर सुलग गई शैतानी सियासत। हाल ही में सूबेभर की सालभर सत्ता का भोग लगा के मुख्यमंत्री के ओहदे से बेदख़ल हुए कमलनाथ ने चर्चा में बने रहने के लिए सियासत की बिसात पर सात समंदर पार की चाल चल के हर मौक़ो पर चर्चा का पर्चा फाड़ के सुर्खियां बटोरती शरारती पुड़िया छोड़ी है लेकिन शिवराज सरकार की सेहत पर नाथ के विरोध से कोई ख़ास फ़र्क़ नही पड़ा ऐसा सोच सकते है बतौर इससे की नाथ के विरोधी नगाड़ो से शिवराज सरकार के कान में जूं तक नही रेंगी। खैर पिछले कुछ वक़्त से अधमरी दम तोड़ती कांग्रेस में जान फूंकने और सत्तापक्ष पर दबाव बनाने के लिए विपक्ष की नौटंकी उलजुलूल, उटपटांग, अनापशनाप अनर्गल बयानबाज़ी और मुर्दा मुद्दों से केवल और केवल कोविड के बढ़ते कहर की तरफ़ से ध्यान भटका है और लापरवाही का खामियाज़ा आम जनता को मर के मौत के मुहं से बाहर आके चुकाना पड़ा है सत्तापक्ष अगर क़सूरवार है तो विपक्ष की भी गिरेबां कम गुनहगार नही है। एक ओर जहां जनता की जान लील कर कोरोना कब्रस्तानों की मुर्दा बस्तियों को आबाद कर रहा है और हर इंसान अपने आप को बेबस कमज़ोर असुरक्षित महसूस करने पर मज़बूर हो चुका है हर तरफ भय की चादर बिछ चुकी है ऐसी विडंबना गम्भीर परिस्थितियों के समय विपक्ष तुकड़ेबाज़ी की तगाड़ी उठाने की जगह जनजन के लिए प्रदेश स्तरीय पार्टी लेवल पर सामूहिक जान बचाओ अभियान चलाता शायद तो कुछ और बात होती, लेकिन कभी हनीट्रैप के नाम से सरकार पर दबाव बनाने के लिए ब्लैकमेल करने वाली बयानबाज़ी तो कभी कोविड को लेकर सियासी मटरगश्ती। बहरहाल कल तो सतना के दौरे के दौरान नाथ ने तो हद ही पार कर दी मीडिया मंडी में कोरोना का रोना लेकर बैठने से पहले नाथ ने मज़बूत मालदार विपक्ष के होने के बावज़ूद भी जनता की मदद कर झांकी तो नही बनाई लेकिन सत्ताधारी भाजपा की किरकिरी करते हुए खिसियाहट में माहौल बनाने के ईरादे से यह कह गए कि "मेरा भारत महान नही मेरा भारत बदनाम है।"
आगे नाथ ने विदेशों में भारतीय ड्राइवरों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय ड्राइवरों की कार में करोना के डर से लोग बैठ नही रहे है। बहरहाल एक बात समझ नही आई जब नाथ के हाथ मे सूबे की शाहनशाहत थी जब तो जनाब के जमी पर पाँव नही पड़ते थे प्रदेशभर के ज़मीनी निर्धन ड्राइवर तो दूर कन्डेक्टर को भी अपनी पीड़ा बताने के लिए कमलनाथ दर्शन नही दे पाते थे। न जाने कितने बेबस सताए हुए नाथ के दर से उस वक़्त बिना मिले हताश उदास होकर जाया करते थे जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे तब निर्धन प्रदेशवासियों की पुकार नही सुन पाते थे लेकिन आज भाजपा की सत्तापक्ष को घेरने के लिए सात समंदर पार के हिंदुस्तानियों की भी आवाज़ सुनाई दे रही है लिहाज़ा सियासत पेशे में लिहाज कोई किसी का नही करता। हां मौक़ा मिलते ही एक दूसरे की प्याज़ काटने की रस्म को निभाया जरूर जाता है। वैसे सूबे के सियासी पंडितों की माने तो कमलनाथ ने भारत बदनाम है राग नाम पाने के लिए छेड़ा है लेकिन मीडिया के मवालियों की माने तो उम्रदराज़ नाथ की मति मारी जा चुकी है चच्चा को चर्चा का विषय बने रहने का शौक है जो इन दिनों पूरा नही हो रहा, कमलनाथ अगर भारत की महानता का पैमाना नापने के लिए सिर्फ़ एक सच्चे आम भारतीय के दिल मे भी झांकने के बाद बयान देते तो शायद ये शब्द उनके मुंह से कभी नही निकलता की भारत महान नही है। माना की इन दिनों प्रदेश कांग्रेस पार्टी के माईबाप बने कमलनाथ की पार्टी में मुखियागिरी के चलते विपक्ष भी भारी है और नाथ के अन्य जनहित में शिवराज पर दागे आज के सवाल भी जायज़ है कसूरवारो की कतार में शिवराज सरकार को खड़ा कर इल्जामों, तोहमतों की उंगली उठाना भी जायज़ है लेकिन सियासी मफाद के लिए भाषाशेली से सैलाब लाना सियासत नही शरारत है, वैसे जवाबी जुमलेबाजी में कैलाश विजयवर्गीय कमलनाथ के भी उस्ताद है जिन्होंने नाथ की तक़रीर पर तमाशा बनाते हुए कहा.....
मध्यप्रदेश सियासत कांग्रेस दफ़्तर
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