【 RNI-HIN/2013/51580 】
【 RNI-MPHIN/2009/31101 】
24 Oct 2018
नई दिल्ली
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के टॉप बॉस आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर (एजेंसी में नंबर 2) राकेश अस्थाना के बीच खींचतान के बाद बढ़ा विवाद सुर्खियों में है। दरअसल, एजेंसी ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना पर केस दर्ज किया है। एफआईआर में उन पर मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से 3 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। सोमवार को प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने खुद इस मामले में दखल दिया। डायरेक्टर वर्मा की पीएम से मुलाकात हुई और एक घंटे के भीतर ही केस से जुड़े डीएसपी रैंक के अधिकारी देवेंद्र कुमार गिरफ्तार हो गए। कुछ देर बाद तमाम अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई ने छापे भी मारे। आइए समझते हैं कि CBI के भीतर शुरू हुए इस संग्राम के मुख्य किरदार कौन से हैं..
आलोक वर्मा
UT काडर के 1979 बैच के IPS अफसर हैं। वह 1 फरवरी 2017 से सीबीआई के चीफ हैं। उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की है। मौजूदा पोस्टिंग से पहले वह दिल्ली के पुलिस कमिश्नर थे।
राकेश अस्थाना
1984 बैच के गुजरात आईपीएस अफसर इस समय सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर हैं। JNU के छात्र रहे अस्थाना ने चर्चित चारा घोटाला और गोधरा ट्रेन में आगजनी मामलों की जांच की थी। स्टर्लिंग बायोटेक में कथित भूमिका के लिए एक याचिका भी दाखिल की गई थी। आरोप लगाए गए थे कि उन्हें 3.8 करोड़ रुपये घूस के तौर पर मिले थे।
ए. के. शर्मा
गुजरात काडर के 1987 बैच के IPS अफसर हैं। जॉइंट डायरेक्टर के तौर पर वह 2015 में सीबीआई में आए। इस साल की शुरुआत में वर्मा के द्वारा उन्हें प्रमोशन देकर अतिरिक्त निदेशक बना दिया गया। इसके साथ ही अस्थाना द्वारा देखे जा रहे सभी मामलों को उन्हें दे दिया गया। वह कथिततौर पर ज्यादातर मामलों में वर्मा को सलाह देते हैं।
देवेंद्र कुमार
सीबीआई में DSP कुमार को सोमवार को एजेंसी ने घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, जिसमें अस्थाना पर भी आरोप लगा है। वह कुरैशी के खिलाफ केस में IO थे। सीबीआई ने दावा किया है कि उन्होंने सना का फर्जी बयान तैयार किया, जिसने केस में राहत के लिए घूस देने का आरोप लगाया था।
मोइन कुरैशी
दून स्कूल और सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की। यूपी के रामपुर में एक बूचड़खाना खोला और आगे चलकर भारत के सबसे बड़े मांस निर्यातक बन गए। आरोप है कि वहे पूर्व सीबीआई प्रमुखों एपी सिंह और रंजीत सिन्हा के काफी करीबी थे। एजेंसियां उनके खिलाफ कथित कर चोरी, लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार की जांच कर रही हैं। 2011 में अपनी बेटी की शादी में कुरैशी ने जानेमाने पाक गायक राहत फतेह अली खान को बुलाया था।
सतीश बाबू सना
हैदराबाद के बिजनसमैन हैं। एक समय वह आंध्र प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कर्मचारी थे। नौकरी छोड़कर उन्होंने कई कंपनियों में काम किया। उन्हें तमाम पार्टियों से जुड़े बड़े नेताओं का करीबी भी माना जाता है। 2015 में मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ एक ED केस में सबसे पहले उनका नाम सामने आया। अस्थाना की टीम ने केस की जांच की थी।
मनोज और सोमेश प्रसाद
मनोज दुबई से काम करने वाला बिचौलिया है, जिसे सीबीआई ने पकड़ा है। उसे इन्वेस्टमेंट बैंकर कहा जाता है और अपने भाई सोमेश के साथ वह कई दूसरे बिजनस से भी जुड़ा है। दोनों यूपी से ताल्लुक रखते हैं और एक दशक से विदेश में हैं। दुबई आने से पहले सोमेश लंदन गया था। सना ने दावा किया है कि मनोज ने उसका नाम क्लियर कराने के लिए 5 करोड़ रुपये मांगे थे, जो अस्थाना को दिया जाना था।
समझिए, कब और क्यों शुरू हुई महाभारत
- आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच तकरार अक्टूबर 2017 में शुरू हुई जब वर्मा ने CVC के नेतृत्व वाले पांच सदस्यीय पैनल की बैठक में अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर प्रमोट किए जाने पर आपत्ति जताई।
- वर्मा का मानना था कि अधिकारियों के इंडक्शन को लेकर उनके द्वारा की गई सिफारिश को अस्थाना ने बिगाड़ दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि स्टर्लिंग बायोटेक घोटाले में अस्थाना की भूमिका के कारण CBI भी घेरे में आ गई। हालांकि पैनल ने आपत्ति को खारिज करते हुए अस्थाना को प्रमोट कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी अस्थाना को क्लिन चिट दे दी।
वर्मा थे बाहर, अस्थाना पहुंच गए मीटिंग में
- 12 जुलाई को जब वर्मा विदेश में थे, CVC ने सीबीआई में प्रमोशन को लेकर चर्चा करने के लिए मीटिंग बुलाई जिसमें अस्थाना को एजेंसी में नंबर 2 की हैसियत से बुलाया गया। इस पर वर्मा ने CVC को लिखा कि उन्होंने अपनी तरफ से मीटिंग में शामिल होने के लिए अस्थाना को अधिकृत नहीं किया है।
- 24 अगस्त को अस्थाना ने CVC और कैबिनेट सेक्रटरी को लिखा, जिसमें वर्मा, उनके करीबी अतिरिक्त निदेशक एके शर्मा के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार की डीटेल दी। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे कई आरोपियों को बचाने की कोशिश हुई। अस्थाना ने दावा किया कि सना ने वर्मा को 2 करोड़ रुपये दिए थे जिससे वह कुरैशी केस में बच जाए।
- पिछले हफ्ते अस्थाना ने फिर से CVC और कैबिनेट सेक्रटरी को लिखा और कहा कि वह पिछले महीने सना को गिरफ्तार करना चाहते थे लेकिन वर्मा ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि फरवरी में जब उनकी टीम ने सना से पूछताछ की कोशिश की थी, तो वर्मा ने फोन कर रोक दिया।
- उधर, वर्मा ने अस्थाना द्वारा जांच किए जा रहे कई महत्वपूर्ण मामले वापस लेकर शर्मा को सौंप दिया। अस्थाना के स्टाफ का भी तबादला कर दिया गया।
- 4 अक्टूबर को सीबीआई ने सना को पकड़ा और उसने अस्थाना के खिलाफ मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दे दिया। सना ने दावा किया कि 10 महीने में उसने अस्थाना को 3 करोड़ रुपये दिए हैं।
- 15 अक्टूबर को CBI ने सना से 3 करोड़ की घूस लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया।
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